






श्री नरेंद्र मोदी
भारत के माननीय प्रधानमंत्री
2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम जिस तरह से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं, उससे मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। एक किसान के रूप में, धरती-पुत्र होने के नाते, मुझे इसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। मुझे अपनी भारत माता को न ही दुखी करने का कोई अधिकार है और न ही उसे बीमार करने का ही अधिकार है। हम अपनी आजादी के 75 वर्ष जल्द ही पूरा करेंगे। पूज्य बापू ने हमें रास्ता दिखाया है । क्या हमें अपने खेतों में रासायनिक उर्वरक के प्रयोग में 10% या 20% या 25% की कटौती नहीं करनी चाहिए और यदि संभव हो तो क्या हमें मुक्तिकर अभियान शुरू नहीं करना चाहिए? यह राष्ट्र के लिए एक उदात्त सेवा होगी। यह हमारी धरती माता को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।”

श्रीमती निर्मला सीतारमण
माननीय वित्त मंत्री
2019-20 के अपने बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री ने कहा, “हम शीघ्र ही अपनी मूल कृषि प्रणाली अर्थात् शून्य बजट खेती की ओर लौटेंगे | हमें इस अभिनव मॉडल को अपनाने की आवश्यकता है जिसके माध्यम से कुछ राज्यों के किसानों को पहले से ही इसमें प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस तरह के कदम हमारी आजादी के 75 वें वर्ष में हमारे किसानों की आय को दोगुना करने में मदद कर सकते हैं।”

श्री शिवराज सिंह चौहान
माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
प्राकृतिक खेती:खेती के एक स्थायी तरीके का समन्वयन !
प्राकृतिक खेती, खाद्य असुरक्षा, किसानों की निराशा, तथा खाद्य और पानी में कीटनाशक और उर्वरक अवशेषों के कारण उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं , ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं जैसी विभिन्न समस्याओं का समाधान प्रदान करती है । इसमें रोजगार पैदा करने की भी क्षमता है, जिससे ग्रामीण युवाओं का पलायन रूकेगा। प्राकृतिक खेती, जैसा कि नाम से पता चलता है, कम निवेश से अधिक उपज प्राप्त करने की कला, अभ्यास और, तेजी से, प्रकृति के अनुरूप कार्य करने का विज्ञान है।
प्राकृतिक खेती की प्रथा
प्राकृतिक खेती का अभ्यास करने वाले राज्य
क्षेत्रफल (लाख हैक्टर)

