कृषि, हिमाचल प्रदेश में 71 प्रतिशत आबादी को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करती है और यह क्षेत्र राज्य के कुल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत योगदान देता है। हिमाचल प्रदेश का नया बुवाई क्षेत्र 5,38,412 हेक्टेयर है और कुल फसल क्षेत्र 9,40,597 हेक्टेयर है। कुल सिंचित क्षेत्र 70 लाख हेक्टेयर है। हिमाचल प्रदेश के कृषि-जलवायु क्षेत्र निम्नानुसार हैं:
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान (पीके3) योजना के तहत प्राकृतिक खेती की जाती हैं। इस योजना का उद्देश्य खेती की लागत को कम करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इस योजना की घोषणा मुख्यमंत्री ने 2018-19 के बजट भाषण में की थी।
इस योजना का उद्देश्य सिंथेटिक रसायनों/कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग के बिना खाद्यान्न, सब्जियों और फलों के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
इस योजना में वर्ष 2018-19 में 500 किसानों को कवर करने के निर्धारित लक्ष्य से बढ़कर 2669 किसानों को कवर किया गया। वर्ष 2019–20 तक 54,914 किसान 2,451 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे थे। इस योजना में अब अधिक किसानों को अपने दायरे में लाने और 20,000 हेक्टेयर को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
योजना के क्रियान्वयन के पहले वर्ष में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि प्राकृतिक खेती ने खेती की लागत को 46% तक कम कर दिया और लाभ में 22% की वृद्धि हुई। सेब में रोगों के मामले पर इस परिपाटी के प्रभाव पर एक अन्य सर्वेक्षण किया गया। परिणाम उत्साहजनक रहे। प्राकृतिक खेती के बागों में स्कैब के मामले पत्तियों पर 9.2% और फलों पर 2.1% पाए गए – रासायनिक खेती में, ऐसे मामले पत्तियों में 14.2% और फलों में 9.2% तक पाए जाते हैं। प्राकृतिक खेती के बागों में मार्सोनिना के मामले भी केवल 12.2% पाए गए, जबकि रासायनिक बागों में यह 18.4% थे।
हिमाचल प्रदेश सरकार वर्ष 2022 के अंत तक 9.61 लाख किसान परिवारों को इस योजना के दायरे में लाने की आशा करती है।