नीति आयोग द्वारा जनवरी 2020 में सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट “क्या शून्य बजट प्राकृतिक खेती इनपुट लागतों और उर्वरक सब्सिडियों की बचत कर सकती है? आंध्र प्रदेश से साक्ष्य?” प्रकाशित की गई थी। यह अध्ययन आंध्र प्रदेश में जेडबीएनएफ के साथ-साथ कृषि अर्थनीति पर इसके प्रभाव पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह किसान के लिए रासायनिक आदानों (उर्वरक और कीटनाशकों) की लागत के साथ जेडबीएनएफ इनपुट और परिपाटियों की लागत का तुलनात्मक विवरण प्रदान करता है और राज्य के लिए जेडबीएनएफ की प्रसार्यता के विभिन्न चरणों में उर्वरक सब्सिडी में संभावित बचत का अनुमान प्रदान करता है।
यह अध्ययन आंध्र प्रदेश के सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में लगभग 600 किसानों के प्राथमिक सर्वेक्षण के माध्यम से किया गया था।
प्रमुख निष्कर्षों से पता चला कि आंध्र प्रदेश प्राकृतिक खेती को अपनाकर बड़ी संभावित बचत कर सकता है। कुछ प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित थे:
- चावल की खेती के लिए औसतन किसान रासायनिक आदानों पर प्रति एकड़ 5,961 रुपये खर्च करते हैं।जेडबीएनएफ को अपनाने वाले किसान प्राकृतिक आदानों पर केवल 846 रुपये प्रति एकड़ खर्च करते हैं।
- मक्का की खेती करने वाले जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसानों ने प्राकृतिक आदानों पर प्रति एकड़ 503 रुपये खर्च किए, जबकि रासायनिक आदानों का उपयोग करने वाले किसानों ने प्रति एकड़ 7,509 रुपये खर्च किए।
- मूंगफली की खेती के लिए, रासायनिक आदानों का उपयोग करने वाले एक किसान ने 1,187 रुपये प्रति एकड़ खर्च किया, जबकि जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसान द्वारा 780 रुपये प्रति एकड़ खर्च किए गए।
- चावल की खेती के लिए जेडबीएनएफ न अपनाने वाले किसानों द्वारा खर्च किए गए 14,700 रुपये की तुलना में जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसानों की औसत लागत 12,200 रुपये प्रति एकड़ थी।
- मक्का की खेती करने वालों के लिए, जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसानों के लिए प्रति एकड़ औसत खर्च 15,660 रुपये था जबकि जेडबीएनएफ न अपनाने वाले किसानों के लिए 17,425 रुपये था।
- हालांकि, मूंगफली की खेती के लिए जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसानों की औसत प्रति एकड़ लागत 12,483 रुपये अधिक थी, जबकि जेडबीएनएफ न अपनाने वाले समूह के लिए औसत प्रति एकड़ लागत 9,996 रुपये थी।
- चावल की खेती करने वाला जेडबीएनएफ अपनाने वाला किसान उर्वरक की 83% से 99% तक खपत से बच सकता है।मूंगफली के लिए जेडबीएनएफ अपनाने से यूरिया के उपयोग में लगभग 70% और डायमोनियम फॉस्फेट के उपयोग में 91% की कमी आएगी।
- सर्वेक्षण में उर्वरकों की वास्तविक खपत के आधार पर आंध्र प्रदेश के लिए अनुमानित वार्षिक सब्सिडी परिव्यय 2,154 करोड़ रुपये है।प्रतितथ्यात्मक परिदृश्य में यह अनुमान आंध्र प्रदेश के वर्ष 2017-18 के लिए 3,485 करोड़ रुपये वास्तविक सब्सिडी परिव्यय का केवल 60% है।
- सर्वेक्षण से गणना की गई प्रतितथ्यात्मक परिदृश्य में, यदि राज्य में फसल क्षेत्र का 25% (निम्न नीति परिदृश्य) आंशिक रूप से भी जेडबीएनएफ के अंतर्गत लाया जाता है, तो आंध्र प्रदेश 517 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी बचा सकता है। इसी तरह, वार्षिक सब्सिडी बचत 75% (मध्यम नीति परिदृश्य) के साथ 1,553 करोड़ रुपये और जेडबीएनएफ के तहत 100% (उच्च नीति परिदृश्य) फसली क्षेत्र के साथ 2,071 करोड़ रुपये होगी।
- यदि जेडबीएनएफ अपनाने वाले किसान पूरी तरह से रासायनिक आदानों के उपयोग के बिना इस प्रथा को अपनाते हैं, तो निम्न नीति परिदृश्य में सब्सिडी बचत 539 करोड़ रुपये सालाना होगी।एक उच्च नीति परिदृश्य में, सब्सिडी बचत सालाना 2,154 करोड़ रुपये – प्रतितथ्यात्मक परिदृश्य में 100% बचत होगी।