वर्ष 2019-20
- माननीय मुख्यमंत्री महोदय, राजस्थान सरकार द्वारा बजट घोषणा वर्ष 2019-20 में ‘‘खेती में जान तो सशक्त किसान‘‘की सोच रखते हुए कृषि लागत को कम करने के लिये जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने हेतु घोषणा की गई। प्रारम्भिक अवस्था में राज्य के टोंक, सिरोही, बांसवाड़ा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना का क्रियान्वयन किया गया।
- योजना अर्न्तगत 18313 कृषकों को ग्राम पंचायत स्तर पर सी.आर.पी.(सामुदायिक संसाधन व्यक्ति) एवं विभागीय मास्टर ट्रेनर्स द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जैविक आदान तैयार करने हेतु 10658 कृषकों को कुल लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 600- रुपये की दर से अनुदान पर ड्रम, बाल्टी, जग, झारा उपलब्ध करवाये गये हैं।
वर्ष 2020-21
- योजना का क्रियान्वयन राज्य के 15 जिलों (टोंक, अजमेर, अलवर, बारां, झालावाड, भीलवाडा, उदयपुर, बांसवाडा, सीकर, नागौर, बाडमेर, चुरू, जैसलमेर, हनुमानगढ व सिरोही) में करवाया गया।
- योजना अर्न्तगत 17900 कृषकों को ग्राम पंचायत स्तर पर सी.आर.पी.(सामुदायिक संसाधन व्यक्ति) उपलब्ध नहीं होने के कारण प्राकृतिक खेती में दक्ष विभागीय मास्टर ट्रेनर्स/अधिकारियों/व्याख्याताओं द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जैविक आदान तैयार करने हेतु 13946 कृषकों को कुल लागत का 75 प्रतिशत अथवा अधिकतम 800/- रुपये की दर से अनुदान पर ड्रम, बाल्टी, जग, झारा उपलब्ध करवाये गये हैं।
वर्ष 2021-22
- माननीय मुख्यमंत्री महोदय, राजस्थान सरकार द्वारा बजट घोषणा वर्ष 2021-22 के अनुसार राज्य के 15 जिलों में आगामी तीन वर्षाें में 36000 कृषकों को योजना के तहत लाभान्वित किया जाकर राशि रूपये 00 लाख व्यय किये जायेंगे।
- वर्ष 2021-22 में योजना के क्रियान्वयन हेतु राशि रूपये 00 लाख का बजट प्रावधान किया जाकर राज्य के 15 जिलों में 780 ग्राम पंचायतों का चयन किया जा चुका है। राज्य मद में राशि रूपये 500.00 लाख एवं शेष 1500.00 लाख रूपये कृषक कल्याण कोष से किये जाने की सहमति वित्त विभाग द्वारा दी गई ळें
- वर्तमान में विभाग द्वारा ”राज किसान जैविक एप्प” प्रारम्भ किया गया है, जिस पर जैविक उत्पाद के क्रेता एवं विक्रेताओं की जानकारी उपलब्ध है।
- विभाग द्वारा पायलट आधार पर दुर्गापुरा, जयपुर में जैविक हाट कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है, जिसमें जयपुर जिले के आस-पास के क्षेत्रों के 12 कृषकों द्वारा स्वयं उत्पादित जैविक उत्पाद विक्रय किये जाते हैं।
वर्तमान स्थिति:-
वर्ष 2019-20 में क्रियान्वित कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति के बारे में टोंक, सिरोही व बांसवाड़ा से प्राप्त सूचना अनुसार 8000 हैक्टर क्षेत्रों में कृषकों द्वारा मूंग, उड़द, मक्का, बाजरा, सोयाबीन एवं मूंगफली के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती की जा रही है।
- योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती करने के इच्छुक कृषकों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ, रासायनिक कीटनाशक व उर्वरक उपयोग से होने वाले नुकसान, कम लागत से खेती करने की विधि, स्थानीय स्तर पर जैव उत्पाद यथा जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, घनामृत आदि तैयार कर उपयोग में लेने की विधि की प्रायोगिक जानकारी दी गई है, जिसका उपयोग कृषकों द्वारा खेती में लागत कम करने एवं उच्च गुणवत्ता के उत्पाद पैदा करने में किया जा रहा है।



