नीति आयोग के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप मौजूदा करार का ज्ञापन (एमओए) के तहत वर्ष 2021-25 के लिए आईसीएआर और आईसीआरएएफ (विश्व कृषि वानिकी) की सहयोगी कार्य योजना में 9 जून 2021 को प्राकृतिक खेती पर एक परियोजना को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया। “प्राकृतिक खेती सहित कृषि वानिकी और अन्य पारिस्थितिकीय पद्धतियों के माध्यम से निम्नीकृत भूमि का सुधार” पर इस परियोजना का उद्देश्य एकीकृत भूमि और मृदा उर्वरता प्रबंधन में प्राकृतिक खेती सहित कृषि वानिकी प्रणालियों और अन्य कृषि-पारिस्थितिकीय पद्धतियों का उपयोग करने के लिए सिद्धांतों की जांच कर मुख्यधारा में लाना है।
इस परियोजना के उद्देश्यों में खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी पद्धतियों के माध्यम से विविध आजीविका प्रणालियों को बदलना और भूदृश्य-पैमाना स्तरों पर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के वितरण में वृद्धि करना शामिल है। इस विविध कृषि पारिस्थितिकी में विभिन्न पैमानों पर प्रकृति और भूमि क्षरण की प्रक्रिया और संबंधित मृदा उर्वरता समस्याओं को समझने का भी लक्ष्य रखा गया है। कृषि वानिकी प्रणालियों के प्रभावों, सहक्रियाओं और समंजनों का विश्लेषण करना और मृदा उत्पादकता में सुधार के लिए उपयुक्त कृषि वानिकी प्रतिरूपों का प्रमाणीकरण और निम्नीकृत भूमि का पुनरुद्धार इस परियोजना का एक अन्य उद्देश्य है। अध्ययन का अपेक्षित आउटपुट आईसीआरएएफ की विशेषज्ञता के अनुसरण में प्राप्त एकीकृत भूमि में प्राकृतिक खेती और मृदा उर्वरता प्रबंधन सहित कृषि पारिस्थितिकी पद्धतियों की उपयोगिता और प्रभावों पर वैज्ञानिक और भरोसेमंद परिणाम है।