प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान श्रृंखला
दिनांक 18 नवंबर 2020 को, कृषि शाखा ने डॉ ब्रूनो डोरिन-वरिष्ठ शोधकर्ता और प्रमुख, अर्थशास्त्र और विकास, सेंटर डी साइंसेज ह्यूमेन्स- द्वारा ‘सतत कृषि-पारिस्थितिकी प्रणाली’ पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। व्याख्यान में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रो. रमेश चंद और अपर सचिव डॉ राकेश सरवाल; राज्य कृषि सचिव; उप महानिदेशक, आईसीएआर; और एफएओ के प्रतिनिधि; राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक; और प्राकृतिक खेती के विस्तार में शामिल कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों सहित 71 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
डॉ. डोरिन ने भारतीय कृषि के लिए एक नए प्रतिमान: छोटे पैमाने की खेती को तुलनात्मक लाभ में बदलना, पर चर्चा की। भूमि और कृषि श्रम उत्पादकता को महंगे औद्योगिक आदानों (जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशकों, जीवाश्म ऊर्जा, और अन्य के माध्यम से) के साथ केवल कुछ बड़े मोनो उत्पादन (जैसे चावल, गेहूं, गन्ना, और अन्य) के माध्यम से नहीं, बल्कि असंख्य पौधों और जानवरों की प्रजातियों के बीच, जमीन के नीचे और ऊपर, जैविक सहक्रियाओं को बढ़ावा देने वाले संदर्भ-विशिष्ट कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।