दिनांक 9 जुलाई, 2018 को, जेडबीएनएफ की अवधारणा पर चर्चा करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर का परामर्श-सह-सम्मेलन आयोजित किया गया था।इस परिपाटी के प्रणेता, पद्मश्री से सम्मानित श्री सुभाष पालेकर, इस सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं में से एक थे।
जेडबीएनएफ की अवधारणा पर विस्तार से बताते हुए, श्री पालेकर ने कहा कि यह परिपाटी सुनिश्चित करती है कि पूरक फसलों से लाभ मुख्य फसल के उत्पादन की लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल और कर्नाटक ने पहले ही जेडबीएनएफ लागू कर दिया है – इन राज्यों के किसान अग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र और नीमस्त्र के साथ बीज का उपचार कर रहे हैं।
बैठक में निम्नलिखित बिंदु सामने आए:
i) राज्यों द्वारा जेडबीएनएफ को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और आरकेवीवाई- रफ्तार जैसी योजनाओं का उपयोग किया जा सकता है।जेडबीएनएफ को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की आवश्यकता नहीं है।
ii) आईसीएआर जेडबीएनएफ की पुष्टि कर सकता है, जिसका अध्ययन किया जाएगा और नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।जेडबीएनएफ परियोजनाओं को प्रत्येक राज्य में शुरू किया जा सकता है, और ऐसे प्रत्येक राज्य में आईसीएआर के एक वैज्ञानिक को जेडबीएनएफ की तुलना जैविक खेती, पारंपरिक खेती और अकार्बनिक खेती से करने के लिए तैनात किया जा सकता है।राज्यों को आगे की सिफारिशों के मद्देनजर वैज्ञानिक पुष्टिकरण महत्वपूर्ण है।
iii) इस बात पर प्रकाश डाला गया कि नियंत्रण प्रयोग के लिए प्रामाणिक डाटा की आवश्यकता होती है। यह सुझाव दिया गया था कि हितधारकों को जेडबीएनएफ की सिफारिश करने के लिए वैज्ञानिक प्रोटोकॉल को बेंचमार्क करने वाला एक सु-प्रकाशित प्रमाणित दस्तावेज जरूरी है। यह सुझाव दिया गया था कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों की एक टीम, श्री टी. विजय कुमार, सह-उपाध्यक्ष, एपी रायथू साधिका संस्था के सहयोग से, खरीफ और रबी फसलों के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार कर सकती है।
iv) जेडबीएनएफ के लिए विस्तार प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है, जिसके लिए सरकार की मौजूदा अवसंरचना का उपयोग किया जा सकता है।खेतों के पास और अधिक कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता है।
v) जेडबीएनएफ के कार्यान्वयन के लिए मानक और प्रोटोकॉल स्थापित करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान समुदाय को नीति आयोग की ओर से सभी प्रकार के समर्थन का आश्वासन दिया गया था।
यह निर्णय लिया गया कि आईसीएआर प्राकृतिक खेती पर एक मानक प्रोटोकॉल विकसित करने का बीड़ा उठाएगा तथा प्रौद्योगिकी और कृषि प्रोटोकॉल की स्थापना और पालन के लिए राज्य सरकारों को व्यावहारिक सहायता प्रदान करेगा।