ओडिशा की कुल आबादी का 76 प्रतिशत हिस्सा कृषि गतिविधियों में संलग्न हैं। कुल फसली क्षेत्र 87,46,000 हेक्टेयर है, जिसमें से 18,79,000 हेक्टेयर सिंचाई के अंतर्गत आता है। ओडिशा भारत में चावल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। खेती की जाने वाली अन्य फसलें: जूट, तिलहन, दालें, नारियल, मेस्ता, गन्ना, चाय, रबर, कपास, चना, सरसों, मक्का, तिल, रागी, आलू और सोयाबीन हैं। कटक, ढेंकनाल, बालेश्वर और संबलपुर राज्य के प्रमुख कृषि केंद्र हैं।
ओडिशा में चार क्षेत्र – तटीय मैदान, मध्य पठार, उत्तरी पठार और पूर्वी घाट – हैं – जिन्हें आगे 10 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। राज्य की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता, मध्यम से उच्च वर्षा तथा अल्पावधि और हल्की सर्दियाँ होती हैं। राज्य में आमतौर पर लगभग 1451.2 मिमी वर्षा होती है। हालांकि, यह अक्सर प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, सूखा, और आकस्मिक बाढ़ से ग्रस्त है। मिट्टी का प्रकार तटीय मैदानों में उपजाऊ, जलोढ़, डेल्टाई मिट्टी, मध्य पठार में मिश्रित लाल और काली मिट्टी, उत्तरी पठार में कम उर्वरता वाली लाल और पीली मिट्टी तथा पूर्वी घाट क्षेत्र में लाल, काली और भूरी वन मिट्टी है। इनमें अत्यधिक अम्लीय से थोड़ा क्षारीय से हल्के रेतीले से कठोर मिट्टी तक व्यापक भिन्नता हैं।
दिनांक 19 नवंबर, 2020 को बीपीकेपी, ओडिशा बाजरा मिशन, पीकेवीवाई के साथ प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को एकीकृत करने के लिए एक राज्य स्तरीय बैठक आयोजित की गई तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया। ओडिशा बाजरा मिशन के तहत, प्राकृतिक खेती की परिपाटियां- जैसे बीजामृत के माध्यम से बीज उपचार, मृदा स्वास्थ्य के लिए जीवामृत, हांडी खाता का अनुप्रयोग, और साइकिल वीडर्स को बढ़ावा देने – की परिपाटियां अपनाई जाती हैं।
मालीगिरी जिले में एकीकृत खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम में फसल विविधीकरण, चावल प्रवणता, बारानी मत्स्य पालन आदि को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
इसके अलावा, राज्य जैव विविधता बोर्ड, एफएओ, एमओए-एनआरएए, आईसीएआर, ओयूएटी और राज्य सचिवालय (एसपीपीआईएफ का एनसीडीएस और डब्ल्यूएएसएसएएन) के साथ कृषि जैव विविधता और कृषि पारिस्थितिकी पर एक राज्य स्तरीय तकनीकी समिति का गठन करने का प्रस्ताव था।
ये निर्णय राज्य की वर्ष 2018 की जैविक कृषि नीति के अनुरूप प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों को बढ़ावा देंगे।
स्रोत: कृषि और खाद्य उत्पादन निदेशालय, ओडिशा